नेपोलियन ने स्वयं कहा है, मनुष्य के सामने ऐसी कोई कठिनाई या विपत्ति नहीं आती, जिसका सामना या समाधान करने के लिए या उसे पराजित करने का गुण उसमे न हो- इसलिए चिंता करना न केवल व्यर्थ है, बल्कि मूर्खतापूर्ण कार्य है|
तात्पर्य यह है की चिंतन करें, परंतु चिंता न करें| क्यूंकी चिंता, चिता के समान है, जिसमें आप प्रतिदिन जलते है और निरन्तर मरते हैं| अपनी मनोवर्ति को चिंता में मत बहने दें, क्योकि चिंता का प्रवाह आपकी शक्तियों को बहा ले जाएगा |
तात्पर्य यह है की चिंतन करें, परंतु चिंता न करें| क्यूंकी चिंता, चिता के समान है, जिसमें आप प्रतिदिन जलते है और निरन्तर मरते हैं| अपनी मनोवर्ति को चिंता में मत बहने दें, क्योकि चिंता का प्रवाह आपकी शक्तियों को बहा ले जाएगा |